चित्रकूट। बुंदेलखंडी लोक संस्कृति एवं लोक परंपरा के संवर्धन एवं विकास की दिशा में अग्रसर होते हुए संत कबीर अकादमी, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश एवं संगीत विभाग जगदगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय, चित्रकूट के संयुक्त तत्वावधान में कार्यशाला का भव्य समापन विश्वविद्यालय परिसर में आज संपन्न हुआ। इस कार्यशाला में देश के विभिन्न अंचलों से 35 लोगों ने सहभागिता कर बुंदेलखंडी लोकगीत और संस्कार गीतों का प्रशिक्षण प्राप्त किया। संस्कार गीतों के प्रशिक्षण के प्रारंभ में प्रशिक्षिका डॉ श्रेया पांडेय ने देवी गीत के प्रारंभ से 'जय हो जय हो शारदा भवानी पति राखो महारानी'से मां शारदा की वंदना प्रस्तुत करके समां बांध दिया । इसके पश्चात उन्होंने सोहर गीत 'कृष्ण जन्म जब भयो बधाई' गीत, 'गोकुल बजत बधइया तथा मुंडन गीत 'केल्ह करई रघुनंदन,झलरि मुड़ावई' की प्रस्तुति के माध्यम से जीवन के विभिन्न संस्कारों के अवसर पर गाए जाने वाले परंपरागत गीतों का प्रशिक्षण प्रदान किया।
इसी क्रम में बुंदेलखंडी लोकगीतो के प्रशिक्षण में प्रशिक्षक मोहित तिवारी ने 'हमी रंगबे चुनर' , 'सजनी भई ऋतुराज अवाई', 'पीपल की छैयां बैठो मोरे सैयां', 'मोपे रंगा ना डारो सांवरियां', 'काना से उना आई कारी बदरिया' बुंदेलखंडी लोक परंपराओं से युक्त गीतों के प्रशिक्षण से बुंदेलखंडी संस्कृति के भाव को जागृत कर प्रशिक्षणार्थियों को मूल्यपरक प्रशिक्षण प्रदान किया। समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर शिशिर कुमार पांडेय ने कहा कि लोक संस्कृति विशेष कर बुंदेलखंड क्षेत्र को ध्यान में रखकर संगीत विभाग के द्वारा किया गया यह प्रयास सांस्कृतिक मूल्यों के उन्नयन एवं उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा ।भविष्य में विश्वविद्यालय में इस प्रकार के सांस्कृतिक उत्थान हेतु किया जा रहे प्रयासों को गति मिलेगी तथा निकट भविष्य में विश्वविद्यालय संस्कृति विभाग के सहयोग से अन्य मूल्य परक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा ।उन्होंने इस सफल आयोजन के लिए आयोजन समिति को बधाई दी। कार्यशाला के संयोजक डॉ गोपाल कुमार मिश्र ने कहा कि मानवीय विकास की दिशा में लोक संगीत व जीवन मूल्यों के संरक्षण हेतु किया गया यह प्रयास निश्चित रूप से प्रशिक्षणार्थियों के जीवन कौशलों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने प्रशिक्षणर्थियों को सिखाए गए कौशलों के निरंतर अभ्यास हेतु प्रेरित किया तथा आगामी कार्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालय से जुड़े रहने का आवाह्न भी किया। उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस विश्वविद्यालय में किया गया यह आयोजन बुंदेलखंडी संस्कृति को नए आयाम प्रदान करेगा। कार्य शाला में विभाग के शोधार्थी भगवान दीन , सर्वेंद्र कुशवाहा ने संगत प्रदान की तथा विद्यार्थी डिलन व बलराम ने भी सहयोग प्रदान किया। कार्य शाला को सफल बनाने में, कुल सचिव मधुरेंद्र कुमार पर्वत, संकाय के अधिष्ठाता डॉ विनोद कुमार मिश्र, डॉ ज्योति विश्वकर्मा , डॉ विशेष नारायण मिश्र सहित विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों ने सहयोग प्रदान किया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला की सहसंयोजिका डॉक्टर ज्योति ने किया।