चित्रकूट। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय चित्रकूट उत्तर प्रदेश के संगीत विभाग एवं संत कबीर अकादमी संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में 10 दिवसीय दो विविध कार्यशालाओं का आयोजन विश्वविद्यालय के अष्टावक्र सभागार किया जा रहा है। यह कार्यशाला दो अलग अलग समय पर संपादित हो रही है।
प्रथम कार्यशाला बुंदेलखंडी लोकगीत पर आधारित कार्यशाला है जिसमें चित्रकूट के ही प्रसिद्ध कलाकार श्री मोहित तिवारी प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। बुंदेलखंड की संस्कृति को पुष्ट करने वाले पारम्परिक लोकगीतों से विश्वविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के बाहर के भी जो प्रतिभागी इस कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे हैं वे सब लाभान्वित हों रहे हैं।
इसी के साथ सायं 4बजे से पांच बजे तक संस्कार गीतों पर आधारित कार्यशाला आयोजित की गई है जिसमें मिर्जापुर की प्रसिद्ध कलाकार डॉ श्रेया पाण्डेय प्रशिक्षक के रूप में प्रशिक्षण प्रदान कर रही हैं। भारतीय संस्कृति में व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक जो विभिन्न संस्कार हैं उनसे संबंधित विशेष गीत होते हैं जिन्हें संस्कार गीत कहा जाता है। इस कार्यशाला में सभी प्रतिभागियों को पारम्परिक संस्कार गीत का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
कार्यशाला का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री मधुरेंद्र कुमार पर्वत ने माता सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन करके एवं उनका पूजन करके किया । कार्यशाला में आए प्रतिभागियों ने विश्वविद्यालय के जीवनपर्यंत कुलाधिपति जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी द्वारा रचित माता सरस्वती जी की वंदना प्रस्तुत की । तत्पश्चात औपचारिक रूप से कार्यशाला का उद्घाटन सम्पन्न हुआ। उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 शिशिर कुमार पाण्डेय ने दूरभाष पर अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा निर्धारित अत्यंत आवश्यक मीटिंग में व्यस्त होने के कारण इस कार्यशाला के उद्घाटन में उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं । विद्यार्थियों को उन्होने शुभकामनाएं दी और संगीत विभाग को इस आयोजन हेतु विशेष बधाई दिया । उद्घाटन सत्र में कार्यशाला के संयोजक डॉ. गोपाल कुमार मिश्र, सहसंयोजक डॉ ज्योति, प्रशिक्षक श्री मोहित तिवारी, डॉ. श्रेया पाण्डेय, संकायाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार मिश्र तथा विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ शिक्षक उपस्थित रहे। कार्यशाला में संगत तबला पर सर्वेंद्र कुमार कुशवाहा ने किया। कुलसचिव ने उद्घाटन सत्र में सभी को शुभकामनाएं देते हुए छात्रों को बढ़ चढ़कर इस कार्यशाला में प्रतिभाग करने हेतु प्रेरित किया । मोहित तिमाही तिवारी ने छात्रों को सर्वप्रथम बुंदेलखंडी पारंपरिक लोकगीतों का प्रशिक्षण प्रदान करना प्रारंभ किया । सायंकालीन सत्र में डॉ श्रेया पाण्डेय ने प्रशिक्षक भगवान कृष्ण के जनम से संबंधित पारंपरिक सोहर धुन में बधाई गीत सिखाकर विद्यार्थियों को लाभान्वित किया। प्रतिभागियों ने एक ही स्थान पर दो दो विविध कार्यशालाओं का लाभ प्राप्त कर अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं। दृष्टिबाधित छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय में इस तरह ककी कार्यशाला पहली बार आयोजित हो रही है। संयोजक डॉ मिश्र ने कहा कि ऐसे कार्यशाला में प्रतिभाग करने हेतु अन्य स्थलों पर हजारों रुपए शुल्क देना होता है किन्तु माननीय कुलपति जी ने संत कबीर अकैडमी संस्कृति विभाग के सहयोग से अपने दिव्यांग विद्यार्थियों एवं चित्रकूट वासियों के लिए इसे निःशुल्क आयोजित कराया है। इस भव्य कार्यशाला हेतु सहसंयोजक डॉ ज्योति ने विश्वविद्यालय प्रशासन, माननीय कुलपति, संत कबीर अकैडमी के निदेशक श्री अतुल द्विवेदी जी तथा संस्कृति विभाग का आभार व्यक्त करते हुए ऐसे आयोजनों के महत्व पर प्रकाश डाला।